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कोरोना का नया वैरिएंट है खतरनाक, बढ़ रहे मामले, सितंबर तक और बढ़ेगी रोगियों की संख्या

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दुनिया में एक बार फिर कोरोना के नए वैरिएंट्स के मामले तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। हाल ही में ओमिक्रॉन के दो नए वैरिएंट एरिस और BA.2.86 के मामले देखे गए हैं। ये वैरिएंट एक बार फिर मनुष्यों के लिए खतरा बन सकता है।इन वैरिएंट्स के अध्ययम करने पर इनकी संक्रामकता दर काफी अधिक बताई जा रही है। साथ ही नए वैरिएंट्स में अतिरिक्त म्यूटेशनों के बारे में भी पता चला है जो इसे आसानी से शरीर में बनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देने में सफल रही है। कोरोना के इस नए वैरिएंट्स से वैश्विक रूप से स्वास्थ्य जोखिम बढ़ता जा रहा है। नए वैरिएंट्स की कुछ प्रवृति इसे खतरनाक बनाती है। जिसको लेकर सभी लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी गई है। वैरिएंट्स में देखे गए अतिरिक्त म्यूटेशनों को लेकर सभी को अलर्च किया गया है।वहीं इस मामले पर सीडीसी विशेषज्ञ का कहना है कि वो ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि नए वैरिएंट्स पहले की तुलना में कितने संक्रामक हो सकते हैं। यह उपचार के प्रति कितनी अच्छी प्रतिक्रिया देता है और यह लोगों को कितनी गंभीर रूप से प्रभावित करता है।पहले स्तर के जोखिमों के मूल्यांकन में कहा गया है कि BA.2.86 उन लोगों में भी संक्रमण पैदा कर सकता है जिन्हें पहले कोरोना की वैक्सीन लग चुकी है या फिर जो पहले से संक्रमण के बाद शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित किए हुए हैं। एजेंसी इस बात का भी मूल्यांकन कर रही है कि सितंबर में आने वाली नए वैरिएंट्स को लक्षित करने वाली खास वैक्सीन कितना असरदार हो सकती है?
बता दें कि वर्तमान में अस्पतालों में कोरोना से भर्ती होनें वाले हर दिन 1800 लोग है। ऐसे में सीडीसी यह आशंका जता रहा है कि यह संख्या सितंबर के मध्य तक बढ़ती रह सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोना के नए वैरिएंट्स के कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा तो नहीं देखा जा रहा है, लेकिन अस्पतालों में बढ़ती लोगों की भीड़ स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाने वाली जरूर हो सकती है। संक्रमण के मामलों के बढ़ने के साथ वैरिएंट्स में म्यूटेशन और नए वैरिएंट्स के सामने आने का जोखिम भी अधिक हो सकता है।