उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रहा EYE FLU के मरीजों का आंकड़ा, चपेट में आए तो जरूर कर लें या काम

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प्रदेशभर में आई फ्लू (कंजेक्टिवाइटिस) के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। दून अस्पताल में भी मरीजों का तांता लगा हुआ है। आई फ्लू के मरीजों का आंकड़ा देख अस्पताल प्रबंधन भी लगातार लोगों से आइसोलेट होने की अपील कर रहा है।दून अस्पताल के आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर पीयूष सोढ़ी ने कहा कि आई फ्लू से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह एक से दो हफ्ते में ठीक हो जाने वाली बीमारी है। डॉ पीयूष सोढ़ी ने कहा कि आई फ्लू एक तरह का वायरस है। ऐसे में किसी व्यक्ति को अगर आई फ्लू हो जाता है तो उसे खुद को कुछ समय के लिए आइसोलेट कर देना चाहिए।वायरल कंजक्टिवाइटिस आंख का संक्रमण है। इसके कारण कंजक्टिवा, पलकों के अंदर और आंख के सफेद हिस्से को ढकने वाली झिल्ली में सूजन आ जाती है। आंखे लाल हो जाती हैं।आमतौर पर वायरल कंजक्टिवाइटिस एडेनोवायरस के कारण होता है। जो कि संक्रमित व्यक्ति की आंखों से निकलने वाले स्राव के संपर्क में आने से फैलता है। इसके साथ ही संक्रमित व्यक्ति के तौलिया, वाश क्लाथ या आंखों के मेकअप के संपर्क में आने से भी ये फैलाता है।आई फ्लू के लक्षणों में सबसे आम आंखें लाल होना और आंखों में खुजली होना है। इसके साथ ही सूजी और चढ़ी हुईं आँखे, आंखों से पानी या चिपचिपा पदार्थ निकलना, आंखों में जलन या खुजली महसूस होने के साथ ही सुबह पलकों पर पपड़ी जमना आई फ्लू के लक्षण हैं।आई फ्लू से राहत के लिए अपनी आंखों पर ठंडा सेक लगाना चाहिए। इसके साथ ही अपनी आंखों को भी ना मिले। अगर आंखों में जलन या खुजली ज्यादा महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इन बातों को रखें खास ध्यान
हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं।
आंखों को बार-बार छूने से बचें।
आई फ्लू होने पर आंखों के मेकअप से बचें।
आई फ्लू होने पर स्विमिंग ना करें।
दूसरों के साथ तौलिया, वाश क्लाथ या आंखों का मेकअप साझा करने से बचें।
कांटेक्ट लेंस बाहर निकालें और निर्माता के निर्देशों के अनुसार ही साफ करें।
आंखों के संपर्क में आने वाली किसी भी सतह को साफ और कीटाणु रहित करें।