
उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण (ट्रिब्यूनल) की नैनीताल पीठ ने एक महिला सब-इंस्पेक्टर को दी गई सजा को रद्द कर दिया है। अल्मोड़ा के एसएसपी और कुमाऊं आईजी ने महिला दरोगा तरन्नुम सईद को विभागीय जांच में दोषी मानते हुए निंदा प्रविष्टि दी थी, जिसे ट्रिब्यूनल ने अवैध और जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है।
महिला दरोगा के पक्ष में आया ट्रिब्यूनल का फैसला
काशीपुर जीआरपी चौकी इंचार्ज उपनिरीक्षक तरन्नुम सईद ने अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन के जरिए ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि 2021 में वह सल्ट थाने में तैनात थीं और एक सड़क दुर्घटना मामले की जांच उनके पास थी। उन्होंने ईमानदारी से जांच करते हुए वाहन मालिक और गवाहों के बयान दर्ज किए और मोबाइल लोकेशन व वीडियो साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया में थीं, तभी मामला दूसरे अधिकारियों को सौंप दिया गया।
दरोगा ने कार्रवाई को एकतरफा बता कर दी थी चुनौती
बाद में जांच अधिकारी ने बिना पर्याप्त सबूतों और गवाहों के यह निष्कर्ष दे दिया कि दरोगा ने जानबूझकर गलत दिशा में जांच की ताकि वाहन मालिक को बीमा का फायदा मिले। इसी रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी अल्मोड़ा ने मई 2023 में उन्हें निंदा प्रविष्टि दे दी। उनकी अपील भी आईजी कुमाऊं ने खारिज कर दी थी। महिला दरोगा ने इसे चुनौती देते हुए कहा कि उनके खिलाफ की गई कार्रवाई एकतरफा और बिना सबूतों के की गई है।
अल्मोड़ा SSP और IG का आदेश रद्द
ट्रिब्यूनल के प्रशासनिक सदस्य कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने उनकी दलीलें सही मानते हुए कहा कि सजा जल्दबाजी में दी गई और यह केवल संदेह के आधार पर थी। ट्रिब्यूनल ने एसएसपी अल्मोड़ा और आईजी कुमाऊं के दोनों आदेशों को रद्द करते हुए निर्देश दिया है कि तरन्नुम सईद की चरित्र पंजिका से निंदा प्रविष्टि 30 दिन के भीतर हटाई जाए और उनके सभी रुके हुए सेवा लाभ जारी किए जाएं।
