
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने मंगलवार को वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, सेंट्रल वॉटर कमीशन समेत अन्य राष्ट्रीय संस्थानों के साथ भूस्खलन न्यूनीकरण को लेकर बैठक की। बैठक में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की पहचान और इससे जुड़ी समस्याओं के समाधान पर विस्तार से चर्चा हुई।
प्रिडिक्शन मॉडल तैयार करने के दिए निर्देश
मुख्य सचिव ने सभी संस्थानों को निर्देश दिए कि वे मिलकर एक प्रिडिक्शन मॉडल तैयार करें। इसके तहत सैटेलाइट इमेज और धरातलीय परीक्षण के आधार पर यह पूर्वानुमान लगाया जाएगा कि कितनी बारिश होने पर किसी विशेष स्थान पर भूस्खलन की संभावना है। इसका उद्देश्य निचले इलाकों को समय रहते खाली कर लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
संवेदनशील झीलों में सेंसर लगाने का दिए निर्देश
बैठक में यह भी तय किया गया कि प्रदेश की 13 ग्लेशियर झीलों में सेंसर लगाए जाएं। शुरुआत में 6 संवेदनशील झीलों का सैटेलाइट और धरातलीय परीक्षण कर सेंसर स्थापित किए जाएंगे। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान को इस कार्य के लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, जीएसआई, सेंट्रल वॉटर कमीशन और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों की मदद उपलब्ध कराई जाएगी।
फंड की कमी न होने का दिया आश्वासन
मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने फंड की किसी प्रकार की कमी न होने का भी आश्वासन दिया। बर्द्धन ने कहा कि यह एक मल्टी-इंस्टिट्यूशनल टास्क है और इसे गंभीरता से तत्काल प्रभाव से लागू करने की आवश्यकता है, ताकि प्रदेश में भूस्खलन और ग्लेशियर झीलों से जुड़ी आपदाओं का प्रभाव कम किया जा सके