उत्तराखण्ड

आसमान से गिर रहे लाखों मच्छर…, वजह हैरान कर देगी

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HAWAII mosquito-from-drone

हवाई के घने जंगलों में जून के महीने में आसमान से जो कुछ गिरा उसने हर किसी को चौंका दिया। लेकिन ये कोई तबाही लाने वाला हमला नहीं था। ड्रोन से छोटे-छोटे पॉड्स गिराए जा रहे थे। जिनमें हजारों मच्छर भरे थे। जी हां, आपने सही पढ़ा, मच्छर। मगर ये मच्छर एक खास मकसद के लिए तैयार किए गए थे। इसका मकसद हवाई की खत्म होती सुंदर पक्षियों की नस्लों को बचाना है।

आसमान से गिर रहे लाखों मच्छर

हवाई की एक पहचान उसकी रंगीन, छोटी-छोटी खूबसूरत चिड़ियां हुआ करती थीं। जिसमें ‘हनीक्रीपर’ शामिल है। कभी इनकी 50 से ज़्यादा प्रजातियां पाई जाती थीं। लेकिन अब गिनती की ही बची हैं। जो बची हैं उनकी हालत भी गंभीर है। ये चिड़ियां सिर्फ खूबसूरती का प्रतीक नहीं थीं। बल्कि पर्यावरण में भी इनकी भूमिका बेहद अहम थी। फूलों का पराग फैलाना, बीजों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना जैसे काम ये बखूबी करती थीं।

चिड़िया की प्रजाती हो रही खत्म

लेकिन अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि एक प्रजाति ‘आकिकिकी’ जंगलों से लगभग खत्म हो चुकी है। ‘अकेके’ नाम की एक और नस्ल के अब 100 से भी कम परिंदे बचे हैं। ये सिर्फ एक जैविक संकट नहीं है। बल्कि हवाई की संस्कृति और विरासत पर सीधी चोट है।

मच्छर से होने वाली एवियन मलेरिया

इन चिड़ियों की दुश्मनी मच्छरों से है। लेकिन बात सिर्फ काटने की नहीं। मच्छरों के ज़रिए फैलने वाली एक जानलेवा बीमारी एवियन मलेरिया भी है। जो इन नन्हीं चिड़ियों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रही है।

खास बात ये है कि मच्छर हवाई में हमेशा से नहीं थे। 1826 में जब व्हेल पकड़ने वाले जहाज़ पहली बार यहां आए तो साथ में मच्छर भी आ गए। तब से लेकर अब तक मच्छरों ने इस इलाके में पैर जमा लिए और चिड़ियों पर कहर बनकर टूटे।

पहाड़ों पर भी पहुंचने लगे है मच्छर

पहले ये पक्षी ऊंचे पहाड़ों पर जाकर बच जाते थे। जहां ठंड मच्छरों को रोक देती थी। लेकिन अब ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते तापमान इतना बढ़ गया है कि मच्छर वहां भी पहुंचने लगे हैं।

मच्छरों से ही मच्छर खत्म करने की योजना

पक्षियों को बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक अनोखी तकनीक अपनाई। Incompatible Insect Technique (IIT) तकनीक की। इसमें लैब में तैयार किए गए नर मच्छरों के शरीर में ‘Wolbachia’ नाम का एक बैक्टीरिया डाला जाता है। ये मच्छर जब जंगल में मादा मच्छरों के साथ मेल करते हैं, तो उनके अंडे फूटते ही नहीं। यानी मच्छरों की अगली पीढ़ी ही नहीं पैदा होती। धीरे-धीरे मच्छरों की आबादी कम होने लगती है।

साल 2016 में काम हुआ शुरू

2016 में American Bird Conservancy और ‘Birds, Not Mosquitoes’ नाम की संस्था ने इस तकनीक पर काम शुरू किया। लाखों मच्छर कैलिफोर्निया की लैब में तैयार किए गए और फिर हवाई के ‘माउई’ और ‘कौआई’ द्वीपों पर छोड़े गए। हर हफ्ते लगभग 10 लाख मच्छर छोड़े जा रहे हैं। लेकिन ये मच्छर इंसानों को काट नहीं सकते।

ड्रोन से छोड़े गए मच्छर

पहाड़ों और घने जंगलों में मच्छर पहुंचाना आसान नहीं था। हेलिकॉप्टर से छोड़ना महंगा और जोखिम भरा था। ऐसे में ड्रोन ने कमाल कर दिया। अब ड्रोन के जरिए मच्छर उन दुर्गम इलाकों में भी छोड़े जा रहे हैं। जहां हेलिकॉप्टर भी नहीं पहुंच पाते।

ये तरीका सस्ता सुरक्षित और तेज है शायद इसी की वजह से एक बार फिर उम्मीद जगी है कि हवाई की ये खूबसूरत चिड़ियां extinction की कगार से वापस लाई जा सकती हैं

News100Live Desk
टीम न्यूज़ 100 लाइव