

नगर निगम हरिद्वार (haridwar nagar nigam) के सराय क्षेत्र में हुए भूमि खरीद-फरोख्त घोटाले पर सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है. सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शासन ने इस गड़बड़ी में लिप्त अधिकारियों पर एक के बाद एक बड़ी कार्रवाई की है. जांच सचिव खुद मामले की जांच के लिए हरिद्वार पहुंच गए हैं
नगर निगम के अधिकारियों को किया सस्पेंड
शहरी विकास विभाग के अपर सचिव गौरव के आदेश पर प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल सहित चार अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. इतना ही नहीं, मामले की जांच के लिए खुद जांच अधिकारी रणवीर सिंह चौहान हरिद्वार पहुंच चुके हैं. सूत्रों के मुताबिक नगर निगम की जिस जमीन की खरीद-फरोख्त में अनियमितता सामने आई है, उसमें खुद जिम्मेदार अधिकारी ही संदेह के घेरे में हैं.
सरकारी जमीन की रजिस्ट्री और रिकॉर्ड में हेरफेर करने के हैं आरोप
आरोप है कि जमीन की रजिस्ट्री और रिकॉर्ड में हेरफेर कर नगर निगम की संपत्ति को निजी हाथों में पहुंचाया गया. प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित किया गया है. वहीं वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट को कारण बताओ नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब देने को कहा गया है.
अधिकारियों के खिलाफ की जा रही अनुशासनिक कार्रवाई
इसी बीच, सेवानिवृत्त हो चुके संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार भी समाप्त कर दिया गया है. अब उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. निलंबित अधिकारियों को अलग-अलग नगर निकायों में अटैच कर दिया गया है. बता दें दयाल को नगर निगम अल्मोड़ा, कांडपाल को लोहाघाट, मिश्रवाण को कोटद्वार और भट्ट को पिथौरागढ़ भेजा गया है. सरकार की इस सख्ती से नगर निगम विभाग में हड़कंप मचा हुआ है