

भारत में दुनिया का पहला रिन्यूएबल एनर्जी से चलने वाला शहर बन रहा है। ये और कहीं नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश की प्रस्तावित राजधानी अमरावती में बन रहा है। अमरावती अब सिर्फ एक नया शहर नहीं बल्कि एक ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर बढ़ता सपना बनता जा रहा है। इसका मकसद है दुनिया का ऐसा पहला शहर बनना जो पूरी तरह से रिन्यूएबल एनर्जी यानी नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित हो।
भारत के इस राज्य में बन रहा दुनिया का पहला रिन्यूएबल एनर्जी वाला शहर
शहर की योजना कुछ इस तरह बनाई जा रही है कि ये पर्यावरण के अनुकूल, टिकाऊ और स्मार्ट हो। यहां की बिजली की जरूरतें पारंपरिक स्रोतों से नहीं बल्कि सोलर एनर्जी, हवा और हाइड्रोइलेक्ट्रिसिटी जैसे प्राकृतिक और साफ-सुथरे साधनों से पूरी की जाएंगी।
2,700 मेगावाट बिजली की होगी जरूरत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक आने वाले समय में अमरावती को 2,700 मेगावाट बिजली की ज़रूरत होगी। इस ऊर्जा की आपूर्ति पूरी तरह रिन्यूएबल स्रोतों से करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसका मतलब है कि यहां कोयला, पेट्रोलियम या किसी भी तरह के जीवाश्म ईंधन का इस्तेमाल नहीं होगा।
स्मार्ट सिटी का नया चेहरा
ये शहर विजयवाड़ा और गुंटूर के बीच विकसित किया जा रहा है। प्लान ये है कि इसे ऐसा बनाया जाए कि पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण बने। मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई में इस प्रोजेक्ट पर ज़ोरशोर से काम हो रहा है। उन्होंने कहा है कि अमरावती को एक पीपुल्स कैपिटल बनाया जाएगा। जहां टेक्नोलॉजी और प्रकृति साथ चलेंगी।
65,000 करोड़ की लागत
करीब 65,000 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली ये राजधानी 217 वर्ग किलोमीटर में फैलेगी। जबकि आंध्र प्रदेश का पूरा राजधानी क्षेत्र करीब 8,352 वर्ग किलोमीटर का है। खास बात ये भी है कि अमरावती कृष्णा नदी के किनारे बसाई जा रही है। जिससे ये प्राकृतिक रूप से भी समृद्ध क्षेत्र में शामिल होगी।
पीएम मोदी रख सकते हैं नींव
खबर है कि इस महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक राजधानी का शिलान्यास कर सकते हैं। इससे साफ है कि केंद्र सरकार भी इस प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर है। इसे भारत के जलवायु संकल्पों का अहम हिस्सा मान रही है।
आने वाला कल कैसा होगा
2050 तक के प्लान के मुताबिक इस शहर की 30% बिजली की जरूरत सौर और पवन ऊर्जा से पूरी की जाएगी। बाकी जरूरतें भी अन्य टिकाऊ स्रोतों से पूरी करने का खाका तैयार किया जा रहा है। ये सिर्फ एक राजधानी नहीं होगी। बल्कि ये बताएगी कि भविष्य के शहर कैसे बनने चाहिए