शीतकालीन यात्रा के लिए पुलिस ने तैयाारियां तेज कर दी है। प्रदेश में पहली बार 12 महीने तक शीतकालीन यात्रा सुचारू की जा रही है। जिसके चलते कई चुनौतियां भी सामने हैं। जिनसे निपटने के लिए उत्तराखंड पुलिस द्वारा खाका तैयार किया जा रहा है।
शीतकालीन यात्रा को लेकर पुलिस की तैयारी तेज
शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर उत्तराखंड पुलिस ने अपनी तैयारियों को चाक चौबंद करना शुरू कर दिया है। चुनौतियां जरूर हैं लेकिन उन चुनौतियों से कैसे निपटा जाए इसको लेकर भी लगातार खाका तैयार किया जा रहा है। प्रशासनिक स्तर पर शीतकालीन यात्रा में अतिरिक्त पुलिस फोर्स तैनात करके यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा हैं।
संवेदनशील इलाकों को किया जा रहा चिन्हित
आईजी गढ़वाल रेंज राजीव स्वरूप ने बताया कि शीतकाल के दौरान पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी भी देखने को मिलती है। जिससे कई मार्ग अवरुद्ध होने की आशंका भी बनी रहती है। ऐसे में संवेदनशील इलाकों को चिन्हित किया जा रहा है। ताकि शीतकालीन यात्रा के दौरान किसी भी श्रद्धालु को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
चार धामों के शीतकालीन गद्दीस्थल
आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग जिले में स्थित उखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर भगवान केदारनाथ (भगवान शिव) का शीतकालीन निवास स्थान है। शांति और आध्यात्मिकता पसंद लोगों के लिए ये अति उत्तम स्थान है। सर्दियों के दौरान जब बद्रीशपुरी बर्फ की चादर ओढ़ लेती है तो तब भगवान बद्रीनारायण पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बद्री मंदिर और जोशीमठ स्थित नृसिंह बद्री मंदिर में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं।
यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद रहने के दौरान मां यमुना स्थानीय रूप से खुशीमठ के नाम से प्रसिद्ध खरसाली गांव में अपने भक्तों को दर्शन देती है। बता दें कि खरसाली अत्यंत ही सुंदर मनोरंजन स्थल है और यहां घुमावदार घास के मैदान और ओक और शंकुधारी के जंगल हैं। सर्दियों में गंगोत्री धाम के कपाट बंद हो जाने के बाद मां गंगा हर्षिल के पास भागीरथी नदी के तट पर एक छोटे से गाँव मुखबा में विराजमान होती हैं और अपने भक्तों को दर्शन देती हैं।