द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट बंद होने की तिथि तय हो गई है। 20 नवंबर को भगवान मदमहेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। इसके साथ ही आज बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि घोषित कर दी जाएगी।
20 नवंबर को बंद हो जाएंगे द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट
द्वितीय केदार मदमहेश्वर के कपाट 20 नवंबर को बंद हो जाएंगे। जिसके बाद शीतकाल के लिए भगवान मदमहेश्वर शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजमान हो जाएंगे। 21 नवंबर को भगवान मदमहेश्वर की डोली रांसी और 22 नवंबर को गिरिया पहुंचेगी। जिसके बाद 23 नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंचेगी।
मध्यमहेश्वर में शिव की पूजा नाभि लिंगम के रुप में होती है
मध्यमहेश्वर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में ऊखीमठ के पास स्थित है। यहां शिव की पूजा नाभि लिंगम के रुप में की जाती है। कुछ किंवदंतियां तो ये भी कहती हैं कि यहां की सुन्दरता में मुग्द्ध होकर शिव-पार्वती ने अपनी मधुचंद्र रात्रि यहीं मनाई थी।
मदमहेश्वर के बारे में ये भी कहा जाता है कि यहां की पवित्र जल की चंद बूंदें ही मोक्ष के लिए काफी हैं। इसके साथ ही कहा जाता है जो भी इंसान भक्ति या बिना भक्ति के भी मदमहेश्वर के माहात्म्य को सुनता या पढ़ता है उसे बिना कोई और चीज करे शिव के धाम की प्राप्ति हो जाती है। इसी के साथ कोई भी अगर यहां पिंडदान करता है तो उसकी सौ पुश्तें तक तर जाती हैं।