मुख्य सचिव राधा रतूड़ी अपने एक दिवसीय जनपद भ्रमण पर रूद्रपुर पहुंची। रूद्रपुर पंहुचने पर मण्डलायुक्त दीपक रावत व जिलाधिकारी उदय राज सिंह ने मुख्य सचिव का पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। मुख्य सचिव ने वेंडिगं जोन, पहाड़गंज के पूर्व ट्रचिंग ग्राउण्ड व निर्माणाधीन सर्किट हाउस का स्थलीय निरीक्षण के उपरान्त कलेक्ट्रेट में अधिकारियों की बैठक ली।
मुख्य सचिव ने किया पूर्व ट्रचिंग ग्राउण्ड का स्थलीय निरीक्षण
मुख्य सचिव ने पहाड़गंज से कूड़ा हटाने व राष्टीय राजमार्ग से हटाए गए रेड़ी-ठेलियों को उनके जीवकोपार्जन के लिए बनाए जा रहे वेंडिगं जोन पर जिला प्रशासन की सराहना की व कूड़ा निस्तारण के कार्यों का पूरे प्रदेश के नगर निकायों में अनुसरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिले में प्रशासन द्वारा अवैध भूमि कब्जों को हटाकर भूमि को राज्य सरकार में अधिकार क्षेत्र में लेने का ऐतिहासिक काम किया है। इसके लिए उन्होंने जिला व पुलिस प्रशासन को बधाई दी। उन्होने पहाड़गंज में पूर्व ट्रचिंग ग्राउण्ड का स्थलीय निरीक्षण कर पौधा रोपण भी किया।
जल्द बनाया जाएगा सशक्त भू-कानून
मुख्य सचिव ने अधिकारियों की बैठक लेते हुए कहा कि प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सख्त भू-कानून बनाया जा रहा है। जिसमें अधिकारियों व आमजन की राय ली जा रही है। उन्होंने कहा कि सशक्त भू-कानून बनाया जाएगा। जिसमें प्रदेश के निवासियों के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। इसके साथ ही कहा कि अवैध रूप से जमीन-खरीद फरोख्त पर जांच कर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि कोई भी बाहरी व्यक्ति जमीन पर कब्जा न कर सके इसका विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने अधिकारियों से भू-कानून सम्बन्धित सुझाव भी दिए।
सीएस ने घरेलू हिंसा को रोकने के दिए निर्देश
मुख्य सचिव ने विकास कार्यों की समीक्षा करते हुए महिलाओं और बच्चों पर होने वाले अपराधों पर नियमित रूप से मॉनिटरिंग करने व स्लम बस्तियों में होने वाले अपराधों को रोकने के लिए भी विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिये। उन्होने बाल विवाह, घरेलू हिंसा पर भी विशेष नजर रखते हुए पूरी तरह रोकने के निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि बाल विवाह व घरेलू हिंसा रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाये व काउंसिलिंग भी की जाए। उन्होंने कहा कि पुलिस थानों में आने वाले पीड़ितों को गम्भीरतापूर्वक सुना जाए और उनके नजरिए से देखते हुए उनकी सहायता की जाए। साथ ही उनके कौशल विकास कर उनको आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाए। ताकि वे भविष्य में अपने पांव पर खडे़ हो सके। उन्होने गर्भवती माताओं-शिशुओं की नियमित जांच व टीकाकरण किया जाये व गर्भवती माताओं की होने वाली मृत्यु का डेथ ऑडिट अनिवार्य रूप से कराए जाए।