नैनीताल हाईकोर्ट ने दून वैली में मास्टर प्लान और पर्यटन विकास बोर्ड के गठन के बिना हो रहे अवैध निर्माण कार्यों पर सख्त रूख अपनाया है। हाईकोर्ट ने स्मार्ट सिटी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार से सवाल पूछा है कि स्मार्ट सिटी बनाने के लिए अब तक कितना बजट खर्च हुआ है।
नैनीताल हाईकोर्ट ने स्मार्ट सिटी को लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार से ये भी बताने को कहा है कि दून वैली का मास्टर प्लान के तहत विकास करने के लिए क्या प्लान बनाया गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में विस्तृत शपथपत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि मामले की सुनवाई आठ दिसंबर को होगी। इसके साथ ही इस दिन पर्यटन सचिव को भी कोर्ट में पेश होना होगा।
हाईकोर्ट में दिल्ली निवासी आकाश वशिष्ठ ने इस मामले में जनहित याचिका दायर की है। मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष हुई।
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इस याचिका में कहा गया है कि सरकार का 1989 का नोटिफिकेशन होने के बाद भी उत्तराखंड सरकार ने अब तक न तो पर्यटन गतिविधियों के पर्यटन विकास प्लान तैयार किया है और न ही लैंड यूज के लिए मास्टर प्लान बनाया गया है। इसके साथ ही याचिका में ये भी कहा गया है कि दून वैली कंक्रीट में तब्दील हो रही है जिसका प्रभाव नदियों, जलस्रोतों और जंगलों पर प्रभाव पड़ रहा है।