देहरादून

उत्तराखंड में एक बार फिर रोडवेज में मृतक आश्रितों को नियुक्ति देने का मामला पकड़ने लगा है जोर,उठने लगी है मांग

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उत्तराखंड में एक बार फिर से रोडवेज में मृतक आश्रितों को नौकरी देने का मामला जोर पकड़ता हुआ नजर आ रहा है जानकारी के अनुसार कर्मचारी यूनियनें भी आश्रितों की नियुक्ति को लेकर मुखर होने लगी है। रोडवेज में 200 मृतक आश्रित नौकरी के लिए भटक रहे हैं।इसमें कोई माता-पिता तो कोई पति की जगह नौकरी की मांग कर रहा है। लेकिन शासन की ओर से लगाई गई रोक के कारण प्रबंधन आश्रितों को नौकरी नहीं दे पा रहा है। इसके बाद रोडवेज की कर्मचारी यूनियनें भी आश्रितों को लेकर मुखर होने लगी है। यूनियनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार रोडवेज के आश्रितों के साथ भेदभाव हो रहा है। राज्य के सभी विभागों में मृतक आश्रितों को नियुक्ति दी जा रही है, सिर्फ रोडवेज में ही 2016 से नियुक्ति पर रोक है। उन्होंने सरकार से शीघ्र ही अनुकंपा के आधार पर आश्रितों को नियुक्ति देने की मांग की है।

प्रेम सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा कि रोडवेज के मृतक आश्रितों के साथ भेदभाव हो रहा है। सरकार ने सिर्फ रोडवेज में ही नियुक्ति पर रोक लगा रखी है। परिवहन विभाग इस समय स्वयं सीएम पुष्कर सिंह धामी के पास है, हमें उम्मीद है कि वह जरूर मृतक आश्रितों को लेकर उचित फैसला लेंगे। पूर्व परिवहन मंत्री स्व. चंदन राम दास ने मृतक आश्रितों को नियुक्ति देने के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन उनके निधन के बाद से फाइल प्रस्ताव अटका हुआ है।

अशोक चौधरी, प्रदेश महामंत्री, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने कहा कि जब यूपी से अलग होकर उत्तराखंड रोडवेज बना था, तब
साढ़े हजार से ज्यादा नियमित कर्मचारी मिले थे, अब घटकर संख्या 2500 तक रह गई। रोडवेज में कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति करना जरूरी है। मृतक आश्रितों को जल्द
नियुक्ति मिलनी चाहिए। विशेष श्रेणी और संविदा कर्मचारियों को भी नियमित करने की जरूरत है।

मेजपाल सिंह, क्षेत्रीय अध्यक्ष, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त ने कहा कि मृतक आश्रित नौकरी की मांग को लेकर दर-दर भटक रहे हैं। पहले कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं। मृतक आश्रितों को नियुक्ति देने के लिए कई बार प्रबंधन को पत्र लिखा जा चुका है। निगम बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास कर शासन को जा चुका है, लेकिन शासन से अभी नहीं हो पाया, यह मृतक आश्रितों की अनदेखी करना जैसा है।