
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली एक बार फिर सूर्खियों में है। हाल ही में हाईकोर्ट द्वारा लगातार की जा रही सख्ती और तलब के बाद जन संघर्ष मोर्चा ने स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
प्रदेशभर में अस्त-व्यस्त हो चुकी है स्वास्थ्य सुविधा
जान संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि जिस स्तर पर अस्पतालों की व्यवस्थाएं ढह चुकी हैं, उस स्थिति में स्वास्थ्य मंत्री नैतिक आधार पर पद पर बने रहने के योग्य नहीं हैं। नेगी ने कहा कि प्रदेशभर में स्वास्थ्य तंत्र पूरी तरह अस्त-व्यस्त है। सरकारी अस्पताल लूट-खसोट के अड्डे में बदल चुके हैं, वहीं निजी अस्पताल आयुष्मान योजना के मरीजों से बीमारी के नाम पर अतिरिक्त शुल्क वसूलने में लगे हुए हैं।
रघुनाथ सिंह नेगी ने आगे कहा कि आईसीयू और वेंटीलेटर जैसी आपात सुविधाएं समय पर उपलब्ध न होने से गंभीर मरीजों की मौतों में लगातार इजाफा हो रहा है। इन अव्यवस्थाओं पर विभागीय मंत्री की खामोशी और ढीली पकड़ बेहद चिंताजनक है। अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि गर्भवती महिलाओं को समय पर इलाज न मिलने, खराब मशीनों, स्टाफ की भारी कमी, रेफरल सिस्टम की अव्यवस्था और दुर्गम क्षेत्रों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति ने प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को लचर बना दिया है।
सरकार से की स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग
नेगी का कहना है कि हाईकोर्ट द्वारा बार-बार अधिकारियों को फटकारना और तलब करना इस बात का संकेत है कि विभागीय मंत्री अपने ही विभाग पर नियंत्रण खो चुके हैं। नेगी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में जिस तरह मौतों के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, वह सरकार की लापरवाही का सीधा प्रमाण है। मोर्चा ने राज्य सरकार से मांग की है कि विफल और गैर जिम्मेदार स्वास्थ्य मंत्री को तत्काल मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया जाए, ताकि स्वास्थ्य विभाग में सुधार की वास्तविक शुरुआत हो सके

