
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी यानी माउंट एवरेस्ट(Mount Everest) के बारे में तो सब ही जानते है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि माउंट एवरेस्ट का नाम एक ऐसे शख्स के नाम पर रखा गया जिसने दुनिया की कई ऊंची ऊंची चोटियों की हाइट और ऐक्जेक्ट लोकेशन बताई थी।
हैरानी की बात ये है कि ये तब बताई गई थी जब दुनिया में ना कोई GPS था, न कोई सैटेलाइट। इस शख्स ने उस टाइम अपने टूल्स, मैथ और माइंड से कई ऊंची चोटियों की हाइट मापी थी। चलिए इस आर्टिकल में( sir george everest) उनके बारे में जानते है।
sir george everest के नाम पर है Mount Everest
जिस शख्स की हम बात कर रहे है वो है सर जॉर्ज ऐवरेस्ट। आज उनका जन्मदिन भी है। चार जुलाई को UK में जन्मे सर जॉर्ज ऐवरेस्ट 1806 में भारत आए। उन्होंने मसूरी में रहकर दुनिया की कई ऊंची चोटियों की खोज की। माउंट ऐवरेस्ट को भी अपना नाम सर जॉर्ज ऐवरेस्ट से ही मिला। इससे पहले माउंट ऐवरेस्ट को पीक 15 कहा जाता था। सर जॉर्ज ऐवरेस्ट ने ही पहली बार एवरेस्ट की सही ऊंचाई और लोकेशन बताई थी। जिसके चलते ब्रिटिश सर्वेक्षक एंड्रयू वॉ की सिफारिश पर 1865 में इस शिखर का नामकरण उनके नाम पर किया गया।
सर जॉर्ज ऐवरेस्ट का देहरादून से नाता
सर जॉर्ज ऐवरेस्ट का नाता देहरादून के जॉर्ज एवरेस्ट पहाड़ से भी रहा। मसूरी के जॉर्ज ऐवरेस्ट में सर जॉर्ज ऐवरेस्ट ने अपनी जिंदगी का ज्यादातर वक्त बिताया। मसूरी के जॉर्ज ऐवरेस्ट से ही उनकी सर्वे टीम भारत की कई ऊंची ऊंची चोटियों का माप लेकर उन्हें मैप में सही जगह पर लोकेट किया करती।
- 1830 से 1843 तक सर जॉर्ज ऐवरेस्ट भारत के Surveyor General रहे।
- साल 1861 में सर जॉर्ज को ‘ऑर्डर ऑफ द बाथ’ के कमांडर के तौर पर नियुक्ति मिली।
1866 में लंदन के हाईड पार्क गार्डन में सर जॉर्ज ऐवरेस्ट का निधन हुआ। लेकिन उनका नाम हमेशा के लिए दुनिया की सबसे ऊंची चोटी Mt. EVERST में अमर हो गया। अगर आपने अब तक मसूरी जाकर उस जगह को नहीं देखा जहां से एवरेस्ट की कहानी शुरू हुई थी? तो आपको बता दें की मसूरी में आज भी उनका घर और वो लैब मौजूद है ये अब पर्यटन विभाग के जिम्मे है