

सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी न देने और गुमराह करने पर राज्य सूचना आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है. राज्य सूचना आयोग ने पंचायत विभाग और शिक्षा विभाग के दो लोक सूचना अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. साथ ही एक लोक सूचना अधिकारी को निलंबित भी कर दिया है.
अधिकारी ने सूचना देने में की टालमटोल
पूरा मामला उधमसिंहनगर के सितारगंज ब्लॉक का है. निखिलेश घरामी नाम के शख्स ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत साल 2019 से ग्राम पंचायत देवीपुरा, डिओड़ी, बिडौरा, गिधौर, खमरिया, खैराना, बलखेड़ा और सिद्धानवदिया में कराए गए विकास कार्यों, खुली बैठकों और निर्णयों से जुड़ी जानकारी मांगी थी. लेकिन पंचायत विभाग के लोक सूचना अधिकारी और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी मीनू आर्य ने सूचना देने में टालमटोल की.
सूचना आयोग ने दो अधिकारियों पर लगाया जुर्माना
जिम्मेदार अधिकारियों ने एक साल तक यह कहा कि जानकारी ग्राम प्रधानों के पास है. जब शिकायतकर्ता को कोई जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील की. राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट की अध्यक्षता में मामले की सुनवाई हुई. जांच में सामने आया कि जानकारी ग्राम प्रधानों के पास नहीं, बल्कि पंचायत सचिव यानी ग्राम पंचायत विकास अधिकारी के पास थी. प्रधानों ने भी आयोग को लिखित में बताया कि दस्तावेज सचिव के पास हैं.
एक अधिकारी निलंबित
आयोग ने पाया कि अधिकारी मीनू आर्य ने जानबूझकर सूचना छिपाई और आवेदक को गुमराह किया. आयोग ने न केवल 25 हजार का जुर्माना लगाया, बल्कि जिला पंचायत राज अधिकारी, उधमसिंहनगर को निर्देश दिए कि मीनू आर्य को निलंबित किया जाए. आदेश का पालन करते हुए अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. वहीं शिक्षा विभाग के एक अन्य लोक सूचना अधिकारी पर भी 25 हजार का जुर्माना लगाया है, जिन्होंने गलत सूचना दी थी.