

बचपन के दिनों में कबाड़ीवाला बनने की चाहत से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में अहम भूमिका हासिल करने तक दीपक रावत की सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है. इतना ही नहीं उनकी लव स्टोरी भी बेहद खूबसूरत है. यहां जानें पूरी कहानी…
आईएएस अधिकारी अपने प्रशासनिक नेतृत्व के जरिए देश के विकास में अहम योगदान करते हैं. इनमें से कुछ अधिकारी अपने काम के कारण धीरे-धीरे सोशल मीडिया पर अपनी एक पहचान बना लेते हैं. ये ऑनलाइन लाखों लोगों को प्रेरित करते समाज में सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. ऐसे ही एक आईएएस अधिकारी दीपक रावत भी हैं जो यूट्यूब पर काफी पॉपुलर हैं. वह उत्तराखंड कैडर के अधिकारी हैं और फिलहाल कुमाऊं मंडल में आयुक्त के पद पर पोस्टेड हैं. बचपन के दिनों में कबाड़ीवाला बनने की चाहत से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा में अहम भूमिका हासिल करने तक दीपक रावत की सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है. इतना ही नहीं उनकी लव स्टोरी भी बेहद खूबसूरत है.
24 साल की उम्र में पिता ने पैसे भेजना कर दिया बंद
दीपक रावत का जन्म 20 सितंबर 1977 को हुआ था. वे मसूरी में पले-बढ़े और सेंट जॉर्ज कॉलेज से स्कूली शिक्षाहासिल की. हायर एजुकेशन के लिए वह दिल्ली चले गए और यहां उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीए और जेएनयू से इतिहास में एमए किया. इसके बाद उन्होंने जेएनयू से एंसिएंट हिस्ट्री में एमफिल भी किया. अपने सपनों को हासिल करने के लिए रावत का सफर आसान नहीं था. 24 साल की उम्र में उन्हें अपने पिता से आर्थिक मदद मिलनी बंद हो गई. जेआरएफ में चयनित होने के बाद उन्हें हर महीने मिलने वाले 8000 रुपये से वे अपना खर्च चलाते थे.
कैसा रहा IAS दीपक रावत का यूपीएससी का सफर
ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान बिहार के कुछ स्टूडेंट्स से मिलने के बाद दीपक रावत की यूपीएससी में रुचि पैदा हुई. इसके बाद वह भी पढ़ाई के साथ-साथ यूपीएससी की तैयारी में जुट गए और साल 2007 में 12वीं रैंक के साथ यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की. हालांकि इससे पहले दो बाद वह इस परीक्षा में असफल भी हो चुके थे. यूपीएससी के इंटरव्यू में उनसे सवाल पूछा गया कि शून्य से कोई क्या सीख सकता है. अपने जवाब में उन्होंने कहा कि शून्य ने लोगों को तटस्थ रहना सिखाया. रावत ने यह भी कहा कि शून्य का कोई मतलब नहीं होता इसलिए किसी को जीवन में इससे नीचे नहीं गिरना चाहिए.
क्या करती हैं IAS दीपक रावत की वाइफ?
आईएएस दीपक रावत की पत्नी का नाम विजेता सिंह रावत हैं जो न्यायिक सेवा से जुड़ी हुई हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के रूप में काम किया है. हंसराज कॉलेज में पढ़ाई के दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी और दोस्ती से शुरू हुआ सिलसिला कब प्यार में बदल गया दोनों को पता ही नहीं चला. अब इस प्यारे से कपल के दो बच्चे भी हैं. उनके बेटे का नाम दिव्यांश रावत और बेटी का नाम दिरिशा रावत है. IAS दीपक रावत आज लाखों भारतीयों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं
