
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 12.4 किमी रोपवे परियोजना के विकास को मंजूरी दे दी है. इस परियोजना को राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम पर्वतमाल के तहत विकसित किया जाएगा. इस परियोजना को 2,730.13 करोड़ की लगत से पूरा किया जाएगा.
21 KM की चढ़ाई से होकर गुजरती है हेमकुंड साहिब की यात्रा
वर्तमान में हेमकुंड साहिब की यात्रा गोविंदघाट से 21 किलोमीटर की चढ़ाई से होकर गुजरती है. जिसे पैदल, टट्टू या पालकी की मदद से पूरा किया जाता है. प्रस्तावित रोपवे की योजना हेमकुंड साहिब के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों और फूलों की घाटी में आने वाले पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के लिए बनाई गई है. यह गोविंदघाट और हेमकुंड साहिब के बीच हर मौसम में अंतिम मील की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी.
11,000 यात्री प्रतिदिन करेंगे यात्रा
रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है. यह गोविंदघाट से घांघरिया 10.55 किमी तक मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (एमडीजी) पर आधारित होगा, जिसे घांघरिया से हेमकुंड साहिब 1.85 किमी तक सबसे उन्नत ट्राइकेबल डिटैचेबल गोंडोला (3 एस) तकनीक से जोड़ा जाएगा, इसका डिजाइन इस तरीके से तैयार किया जाएगा जिससे इसकी क्षमता प्रति घंटे प्रति दिशा 1,100 यात्री (पीपीएचपीडी) होगी और यह प्रतिदिन 11,000 यात्रियों को ले जाएगा.
हेमकुंड साहिब का महत्व
हेमकुंड साहिब चमोली जिले में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक अत्यंत पूजनीय तीर्थ स्थल है. इस पवित्र स्थल पर स्थापित गुरुद्वारा मई से सितंबर तक साल में लगभग 5 महीने के लिए खुला रहता है और हर साल लगभग 1.5 से 2 लाख तीर्थयात्री यहां आते हैं. हेमकुंड साहिब की यात्रा प्रसिद्ध फूलों की घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में भी काम करती है, जो प्राचीन गढ़वाल हिमालय में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है
