चमोली में बीते दिनों हुई कुछ घटनाओं के बाद माहौल बेहद ही संवेदनशील बना हुआ है। गौचर की घटना के बाद व्यापार संगठन और हिंदू सगंठन के लोगों ने मुस्लिमों के लिए फरमान जारी कर दिया है। उन्हें 31 दिसंबर तक घर खाली करने को कहा गया है। जिस पर AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने पोस्ट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है। जिसके बाद ये मुद्दा चर्चाओं का विषय बन गया है।
31 दिसंबर तक चमोली में मुस्लिमों को अल्टीमेटम
बीते दिनों गौचर की घटना के बाद से पूरे चमोली में लोगों में आक्रोश है। बता दें कि गौचर में एक व्यक्ति के साथ मारपीट हुई थी और विशेष समुदाय के युवकों पर इसके आरोप लगे। इस मामले को लेकर दोनों समुदायों के लोगों के बीच विवाद हुआ। विवाद इतना बढ़ा की इलाके में धारा 163 लागू करनी पड़ी।
पीड़ित की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू की। जिसके बाद विशेष समुदाय के चार युवकों को गिरफ्तार भी किया गया। लेकिन ये मामला यहीं खत्म नहीं हुआ। व्यापार मंडल और हिंदू संगठनों ने एक बैठक बुलाई जिसमें ये फरमान सुनाया गया कि यहां के 15 मुस्लिम परिवार 31 दिसंबर तक अपने घर खाली कर दें।
AIMIM प्रमुख ओवैसी के ट्वीट से गरमाया मुद्दा
हालांकि ये मुद्दा बीते कई दिनों से उत्तराखंड में सुर्खियों में बना हुआ है। लेकिन अब ये पूरे देश में चर्चाओं का विषय बन गया है। दरअसल AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे लेकर एक ट्वीट किया है। जिसके बाद से पूरे देश में इस मामले की चर्चा हो रही है।
औवेसी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि- मुसलमानों को भारत में अछूत बना दिया गया है। उत्तराखण्ड के चमोली में 15 मुसलमान परिवारों का सामूहिक बहिष्कार किया जा रहा है। चमोली के व्यापारियों ने धमकी दी है के 31 दिसंबर तक मुसलमानों को चमोली छोड़ देना होगा। अगर मकान मालिक मुसलमानों को घर देंगे तो 10,000 रूपए का जुर्माना देना होगा।
क्या चमोली के मुसलमानों को समानता और सम्मान से जीने का हक़ नहीं ?
आगे अपने ट्वीट में औवेसी ने लिखा है कि- ये वही उत्तराखण्ड है जहां की सरकार समानता के नाम पर यूनिफार्म सिविल कोड लागू कर रही है। क्या चमोली के मुसलमानों को समानता और सम्मान से जीने का हक़ नहीं है? मोदी अरब शेखों से गले मिल सकते हैं तो चमोली के मुसलमानों को भी गले लगा सकते हैं। आख़िरकार मोदी भारत के प्रधान मंत्री हैं, सऊदी या दुबई के तो नहीं