SSP NAINITAL के निर्देश पर ईद-उल-अजहा के दृष्टिगत कोतवाली हल्द्वानी एवं रामनगर पुलिस ने की पीस कमेटी की मीटिंग,शांति और सौहार्द्र बनाए रखने की अपील
Posted onAuthorNews100Live DeskComments Off on SSP NAINITAL के निर्देश पर ईद-उल-अजहा के दृष्टिगत कोतवाली हल्द्वानी एवं रामनगर पुलिस ने की पीस कमेटी की मीटिंग,शांति और सौहार्द्र बनाए रखने की अपील
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*श्री प्रहलाद नारायण मीणा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जनपद नैनीताल द्वारा* आगामी *ईद-उल-अजहा पर्व को शांतिपूर्ण और सुरक्षित रूप से संपन्न कराने के उद्देश्य से* सम्बन्धित *अधिकारियों को दिये गये निर्देश* के क्रम में आज दिनांक 14.06.2024 को कोतवाली हल्द्वानी सभागार में *श्री प्रकाश चन्द्र, अपर पुलिस अधीक्षक हल्द्वानी की अध्यक्षता में अमन कमेटी की गोष्ठी का आयोजन* किया गया।
उक्त गोष्ठी में श्री ए०पी० बाजपयी नगर मजिस्ट्रेट हल्द्वानी, श्री नितिन लोहनी, क्षेत्राधिकारी हल्द्वानी, श्री उमेश कुमार मलिक प्रभारी निरीक्षक हल्द्वानी व श्री नीरज भाकुनी थानाध्यक्ष बनभूलपुरा, श्री विमल मिश्रा थानाध्यक्ष काठगोदाम आदि मौजूद रहे।
इसके अतिरिक्त *कोतवाली रामनगर में क्षेत्राधिकारी रामनगर श्री भूपेन्द्र भण्डारी की अध्यक्षता* में श्री अरूण सैनी प्रभारी निरीक्षक रामनगर सहित अन्य की उपस्थित में पीस कमेटी की गोष्ठी का आयोजन किया गया।
अपर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि आगामी ईद के अवसर पर *सभी समुदायों के बीच शांति और सद्भाव* बनी रहे, इस दिशा में स्थानीय समुदाय के सहयोग की अत्यन्त आवश्यकता है। ईद-उल-अजहा के मौके पर किसी भी *अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा प्रबंध किए जाएंगे।* संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस बल की तैनाती बढ़ाई जाएगी। *धर्मगुरुओं और समुदाय के प्रमुख सदस्यों से शांति और सौहार्द्र बनाए रखने की अपील की गई।*
दिनाक 17.06.2024 को ईद-उल-अजहा बकरीद का पर्व शान्ति पूर्वक सम्पन्न कराये जाने हेतु पुलिस व प्रशासन द्वारा की गयी *तैयारियों व व्यवस्थाओं के संबंध में विस्तृत चर्चा* की गयी और उपस्थित लोगों द्वारा इस दौरान साफ सफाई, विद्युत व जल आपूर्ति की समस्याओं को दूर करने के संबध में बताया गया जिस संबंध में समस्त विभागों द्वारा आवश्यक कार्यवाही हेतु आश्वासन दिया गया।
सभी उपस्थित सदस्यों को आश्वस्त किया कि पुलिस विभाग हर संभव प्रयास करेगा कि ईद-उल-अजहा का त्योहार सभी के लिए सुरक्षित हो।
*उन्होंने समुदाय के सदस्यों से अपील की कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना पुलिस को दें और शांति बनाए रखें।*
उक्त गोष्ठी में श्री महेन्द्र प्रसाद व०उ०नि० हल्द्वानी, उ0नि0 बलवन्त कम्बोज थाना मुखानी सहित नगर निगम, जल संस्थान, विद्युत विभाग के प्रतिनिधि के उपस्थित में शहर हल्द्वानी के सम्भ्रात नागरिक, मस्जिदो के मोलवी साहीबान व सीएलजी मेंम्बर उपस्थित रहें।
खबर शेयर करें -जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है – सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज हल्द्वानी 28 जनवरी, 2025:- ‘‘जीवन का उद्देश्य केवल भौतिक उपलब्धियों में नहीं बल्कि आत्मिक उन्नति में निहित है।’ये उद्गार निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने महाराष्ट्र के 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के तीसरे एवं समापन दिवस पर लाखों की संख्या में उपस्थित मानव परिवार को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। इस तीन दिवसीय समागम का कल रात विधिवत रूप में सफलता पूर्वक समापन हो गया। सतगुरु माता जी ने आगे कहा कि मनुष्य जीवन को इसलिए ऊँचा माना गया है, क्योंकि इस जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करने की क्षमता है। परमात्मा निराकार है, और इस परम सत्य को जानना मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। अंत में सतगुरु माता जी ने फरमाया कि जीवन एक वरदान है और इसे परमात्मा के साथ हर पल जुड़कर जीना चाहिए। जीवन के हर पल को सही दिशा में जीने से ही हमें आत्मिक सन्तोष एवं शान्ति मिल सकती है, हम असीम की ओर बढ़ सकते हैं। इसके पूर्व समागम के दूसरे दिन सतगुरु माता जी ने अपने अमृत वचनों में कहा कि जीवन में भक्ति के साथ कर्तव्यों के प्रति जागरुक रहकर संतुलित जीवन जियें यह आवाहन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने पिंपरी पुणे में आयोजित 58वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के दूसरे दिन शाम को सत्संग समारोह में विशाल रूप में उपस्थित श्रद्धालुओं को किया। सतगुरु माताजी ने फरमाया कि जैसे एक पक्षी को उड़ने के लिए दोनों पंखों की आवश्यकता होती है, वैसे ही जीवन में भक्ति के साथ साथ अपनी सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मदारियों को निभाना अति आवश्यक है। यदि कोई केवल भक्ति में ही लीन रहते हैं और कर्मक्षेत्र से दूर भागने का प्रयास करते हैं तो जीवन संतुलित बनना सम्भव नहीं। दूसरी तरफ भक्ति या आध्यात्मिकता से किनारा करते हुए केवल भौतिक उपलब्धियों के पीछे भागने से जीवन को पूर्णता प्राप्त नहीं हो सकती। सतगुरु माताजी ने आगे समझाया कि वास्तव में भक्ति और जिम्मेदारियों का निर्वाह का संतुलन तभी सम्भव हो पाता है जब हम जीवन में नेक नीयत, ईश्वर के प्रति निष्काम निरिच्छित प्रेम और समर्पित भाव से सेवा का जज्बा रखें। केवल ब्रह्मज्ञान प्राप्त करना काफी नहीं, बल्कि उसे अपने जीवन में अपनाना भी आवश्यक है। एक उदाहरण के द्वारा सतगुरु माता जी ने समझाया कि जैसे कोई दुकानदार अपने काम को पूरी ईमानदारी और संतुलन के साथ करता है, ग्राहक को मांग के अनुसार सही नापतोल करके माल देता है और उसका उचित मूल्य स्वीकारता है। अपने कार्य में पूरी तरह से संतुलन बनाए रखता है। इसी तरह भक्त परमात्मा से जुड़कर हर कार्य उसके अहसास में करता रहता है, सत्संग सेवा एवं सिमरण को प्राथमिकता देता है, यही वास्तविकता में भक्ति का असली स्वरूप है। इसके पहले आदरणीय निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने विचारों में कहा कि भक्ति का उद्देश्य परमात्मा के साथ एक प्रेमपूर्ण नाता जोड़ने का हो। इसके लिए संतों का जीवन हमारे लिए प्रेरणास्रोत होता है जो हमें अपनी आत्मा का मूल स्वरूप परमात्मा को जानकर जीवन का विस्तार असीम सच्चाई की ओर बढ़ाने की शिक्षा देता है। आपने बताया कि हमें अपनी आस्था और श्रद्धा को सच्चाई की ओर मोड़ना चाहिए और हर पल कदम में परमात्मा के प्रेम को महसूस करना चाहिए तभी सही मायनो में भक्ति का विस्तार सार्थक होगा। समागम की कुछ झलकियां कवि दरबार समागम के तीसरे दिन एक बहुभाषी कवि दरबार का आयोजन किया गया जिसमें जिसका विषय था ‘विस्तार – असीम की ओर।’महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के विभिन्न स्थानों से आए हुए 21 कवियों ने मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी, कोंकणी, भोजपुरी आदि भाषाओं में इस कवि दरबार में काव्य पाठ करते हुए मिशन के दिव्य सन्देश को प्रसारित किया। श्रोताओं द्वारा कवियों की भूरि भूरि प्रशंसा की गई। मुख्य कवि दरबार के अतिरिक्त समागम के पहले दिन बाल कवि दरबार एवं दूसरे दिन महिला कवि दरबार का आयोजन लघु रूप में किया गया। इन दोनों लघु कवि दरबार कार्यक्रमों में मराठी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं के माध्यम से 6 बाल कवि एवं 6 महिला कवियों ने काव्य पाठ किया जिसकी श्रोताओं द्वारा अत्यधिक प्रशंसा की गई। निरंकारी प्रदर्शनी समागम में ’विस्तार-असीम की ओर’इस मुख्य विषय पर आधारित निरंकारी प्रदर्शनी श्रोताओं के लिए मुख्य आर्कषण का केन्द्र बनी रही। इस दिव्य प्रदर्शनी को मूलतः दो भागों में विभाजित किया गया था जिसके प्रथम भाग में भक्तों को मिशन के इतिहास, विचारधारा एवं सामयिक गतिविधियों के अतिरिक्त सतगुरु द्वारा देश व विदेशों में की गई दिव्य कल्याणकारी प्रचार यात्राओ की पर्याप्त जानकारी दी गई थी। द्वितीय भाग में संत निरंकारी चैरिटेबल फाउंडेशन द्वारा स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग के सभी उपक्रमों व गतिविधियों को दर्शाया गया था जिसमें प्रोजेक्ट वननेस जो पुरे भारतवर्ष में चल रहे है उसके सम्बंधित कुछ विशेष मॉडल्स इस प्रदर्शनी का केंद्रबिंदू बने रहे। इसके अतिरिक्त प्रोजेक्ट अमृत और निरंकारी इंस्टिट्यूट ऑफ म्यूजिक एंड आर्ट्स को देखने के लिए श्रद्धालु जन उत्साहित दिखाई दिए। कायरोप्रॅक्टिक शिविर समागम में काईरोप्रैक्टिक तकनीक के द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ का शिविर आयोजित किया गया। यह तकनीक पूर्ण तोर पर रीढ़ की हड्डी से जुडी है। इस तकनीक द्वारा हर रोज लगभग हजार लोग समागम में इस सेवा का लाभ उठा रहे थे। ऑस्ट्रेलिया, यूनाईटेड किंगडम, फ्रांस, अमेरिका के 18 डॉक्टरों की टीम समागम ग्राउंड में अपनी निस्वार्थ सेवाएं प्रदान कर रही थी। इस वर्ष करीब 3500 से अधिक जरुरतमंद श्रद्धालुओं ने इस स्वास्थ्य सुविधा का लाभ प्राप्त किया। निःशुल्क डिस्पेन्सरी समागम स्थल पर 60 बिस्तर का एक अस्पताल बनाया गया था जिसमें किसी को कोई गंभीर समस्या आने पर आईसीयू की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई थी। इसके अतिरिक्त समागम स्थल पर तीन स्थानों पर होम्योपैथी डिस्पेंसरी की सुविधा उपलब्ध कराई गई थी जिसमें रोजाना 3 से 4 हजार जरुरतमंद श्रद्धालु लाभ प्राप्त कर रहे थे। समागम स्थल पर 11 एम्बुलेंस रखी गई थी। वाय.सी.एम.ए.अस्पताल और डी.वाय.पाटिल अस्पताल द्वारा भी अपनी डिस्पेन्सरीज की सेवायें उपलब्ध कराई गई थी। इन डिस्पेंसरियों में 282 डॉक्टर्स की टीम एवं लगभग 450 सेवादल स्वयंसेवक अपनी सेवाएं दे रहे थे। लंगर समागम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए निःशुल्क लंगर की व्यवस्था तीन स्थानों पर की गई थी जिसमें सतगुरु प्रवचन के के अलावा 24 घंटे लंगर उपलब्ध किया जा रहा था। इस लंगर व्यवस्था में 72 क्विंटल चावल एक ही समय पर पकाने की क्षमता थी। 70 हजार श्रद्धालु एक ही समय भोजन कर सकते थे। इसके अतिरिक्त अत्यधिक रियायति दरों पर 4 कॅन्टीन्स की व्यवस्था की गई थी जिसमें अल्पाहार, मिनरल वाॅटर एवं चाय-काॅफी इत्यादि सामग्री प्राप्त हो रही थी।
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