उत्तराखंड के मशहूर लोक गायक प्रहलाद मेहरा का बीती बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। हल्द्वानी के चित्रशिला घाट पर प्रहलाद मेहरा का अंतिम संस्कार किया गया। जहां हजारों लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। मशहूर गायक के निधन के बाद से उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध कुमाउंनी लोक गायक प्रहलाद मेहरा के आकस्मिक निधन के बाद से उत्तराखंड के कला जगत में शोक की लहर है। गुरुवार को मेहरा का अंतिम संस्कार हल्द्वानी के चित्रशिला घाट पर किया गया। जहां हजारों लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
लोकगायक प्रहलाद मेहरा को बचपन से ही गाने का शौक था। इसके साथ ही उन्हें वाद्य यंत्र बजाने का शौक भी था। स्वर सम्राट गोपाल बाबू गोस्वामी से प्रभावित होकर वो उत्तराखंडी संगीत जगत में आए थे। मेहरा उत्तराखंड के संगीत जगत की मशहूर शख्सियत थे। उन्होंने उत्तराखंड संगीत जगत को कई नए-पुराने सुपरहिट गीत देकर लोगों के दिलों में खास जगह बनाई थी।
लोकगायक प्रहलाद मेहरा की आवाज के लोग दिवाने थे। इसके साथ ही उनका ठेठ पहाड़ी अंदाज और उनके गीतों में पहाड़ों की बात लोगों के दिलों में घर कर जाती थी। लोग प्यार प्रहलाद मेहरा को प्रहलाद दा कहकर बुलाते थे। उनके हर एक गीत में पहाड़ का वर्णन होता था