उत्तराखंड लोक सेवा आयोग बीते कुछ समय से चर्चाओं में है। एक बार फिर से आयोग चर्चाओं में आ गया है। इस बार मामला पेपर लीक या आरोपी के पकड़े जाने का नहीं बल्कि यूकेपीएसी के कार्यकारी अध्यक्ष से जुड़ा है। UKPSC के कार्यकारी अध्यक्ष अपने रिटायरमेंट का बाद भी दफ्तर में नजर आए। जिसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं।
यूकेपीएसी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. जगमोहन सिंह राणा का कार्यकाल 26 अक्तूबर को समाप्त गया। लेकिन इसके बाद भी वो 27 को दफ्तर में आए और कुर्सी बैठे हुए नजर आए। जिसके बाद से ये मुद्दा चर्चाओं में आ गया है। हैरानी की बात तो ये है कि ये देखने ना कोई शासन का अधिकारी आया और ना किसी ने ये जरुरी समझा कि आखिर आयोग का जिम्मा किसे सौंपा जाए।
इस मामले को लेकर अब विपक्ष मुखर हो गया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष और कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने इस पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि रिटायरमेंट के बाद भी यूकेपीएसी के कार्यकारी अध्यक्ष दफ्तर क्यों गए ?
उन्होंने फाइलों में छेड़छाड़ की आशंका जताई है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल पूछा है कि फाइलों में छेड़छाड़ कर दें तो किसकी जिम्मेदारी ? करन माहरा ने बड़ी गड़बड़ी की आशंका जताई है। उनका कहना है कि कहीं ना कहीं फाइलों का जिस तरीके से वो काम निपटा रहे हैं कोई बड़ी गड़बड़ी को अंजाम दे रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने युवाओं के साथ धोखे का भी आरोप लगाया है।
आपको बता दें कि जून में लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार के इस्तीफे के बाद वरिष्ठतम सदस्य डॉ. जगमोहन सिंह राणा कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। संविधान के मुताबिक छह साल या 62 साल की उम्र जो भी पहले हो रिटायरमेंट हो जाता है। डॉ. जगमोहन सिंह राणा का कार्यकाल 26 अक्तूबर को खत्म हो गया है। लेकिन इसके बाद भी वो 27 को दफ्तर पहुंचे और काम कर रहे थे।
जब इस बारे में उनसे सवाल पूछा गया तो डॉ. जगमोहन सिंह राणा ने कहा कि मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया है। मेरे कार्यकाल के बारे में शासन से पूछिए मुझे शासन से कोई सूचना नहीं मिली है। शासन जैसा कहेगा वही होगा ।